ट्रस्ट का उद्देश्य:
चूंकि मनुष्य सामाजिक प्राणी हैं, इसलिए उसका जन्म, विकास, परिमार्जन एवं आकलन सामाजिक परिप्रेक्ष्य में ही होता है। चारण नारायण सिंह गाडण ट्रस्ट देशनोक के संस्थापक स्व. नारायण सिंह गाडण को अपने पूर्वजों से अपने मित्रों से अपने परिवेश से ही समाज सेवा के संस्कार प्राप्त हो गए थे। वे लम्बे समय तक मण्डलीय चारण सभा बीकानेर के सचिव पद पर रहे। इस दौरान उनकी देख-रेख में चार अखिल भारतीय चारण सम्मेलनों के भी सफल आयोजन सम्पन्न हुए। उन्होंने अपने विद्यार्थी जीवन में छात्रवृत्ति भी प्राप्त की थी। उस छात्रवृत्ति से प्राप्त प्रोत्साहन का सुखद अनुभव उनके मानस में गहराई तक उतर गया था। यह अनुभव ही इस ट्रस्ट की स्थापना का कारण बना। यह यह ट्रस्ट उनके जीवन के उत्तरार्ध में समाज को प्रदान की गई एक अनुपम कृति हैं। इस ट्रस्ट के माध्यम से उन्होंने अर्थ के उपार्जन को और विसर्जन को दोनों को सार्थकता प्रदान कर दी। क्योंकि धनवान होना और धन का सामाजिक हितों में सदुपयोग करना, येदोनों बहुत अलग-अलग बातें हैं। जिस प्रकार किसी व्यक्ति का धनवान होना परमात्मा की असीम अनुकम्पा पर निर्भर करता है ठीक उसी प्रकार धनवान व्यक्ति द्वारा धन का सामाजिक हितों में सदुपयोग भी ईश्वर एवं मां भगवती की कृपा पर निर्भर हैं। जिस धनवान व्यक्ति पर ईश्वर की कृपा नहीं होती, वह व्यक्ति अपना उपार्जित धन किसी सद्कार्य में खर्च नहीं कर सकता। इस ट्रस्ट के संस्थापक श्री नारायण सिंह जी गाडण पर भगवती श्री करणी जी महाराज एवं परमात्मा की असीम अनुकम्पा रही और उन्होने इस ट्रस्ट के माध्यम से अपने हृदयगत भावों को मूर्तरूप प्रदान किया।
सन 1988 में इस ट्रस्ट की स्थापना की गई। इस ट्रस्ट का प्रमुख उद्देश्य चारण प्रतिभाओं को प्रोत्साहन प्रदान करना हैं। यद्यपि प्रतिभाएं प्रोत्साहन की मोहताज नहीं होती तथापि अन्तर्मन से दी हुई एक षाबासी और आशीर्वाद जीवन का रुख बदल देता है। सम्मान अथवा प्रोत्साहन का एक गहरा मनोविज्ञान है। गोस्वामी तुलसीदास जी ने कहा है कि -
‘‘ तुलसी कहै पुकार के,
सुनहु सकल दे कान।
स्वर्ण दान गजदान से
महा दान गज दान से।।‘‘
सम्मान एवं प्रोत्साहन से प्रतिभा का मनोबल द्विगुणित हो जाता है। यह प्रोत्साहन - सम्मान प्रतिभा को पूर्णतया खिलने में मददगार होता है। फिर देशनोक भगवती का दरबार और सम्पूर्ण चारण जाति की उपस्थिति इस पुरस्कार एवं सम्मान की गरिमा में चार चांद लगा देते हैं। इस ट्रस्ट द्वारा आसोज नवरात्री में करणी जी महाराज के जन्म दिवस सप्तमी पर आयोजित प्रतिभा सम्मान समारोह को भगवती श्री करणी जी महाराज द्वारा प्राप्त आशीर्वाद समारोह ही समझा जाता हैं। इसलिए इस पुरस्कार की महत्ता अत्यधिक बढ़ गयी हैं। पुरस्कृत होने वाले छात्र - छात्रा भी एक सामाजिक दायित्व बोध से प्रेरित होते हैं। जिससे उनकी सामाजिक प्रतिबद्धता को वृद्धि प्राप्त होती हैं। इस प्रकार चारण नारायण सिंह गाडण ट्रस्ट से पुरस्कृत एवं सम्मानित विद्यार्थी भगवती करणी जी महाराज के दरबार से एक नई प्रेरणा एवं एक नया उत्साह, एक नई सामाजिक प्रतिबद्धता का बोध लेकर अपने गंतव्य को प्रस्थान करते हैं। यही इस ट्रस्टके लक्ष्य की प्राप्ति है। यही उद्देश्यसिद्धि हैं।
इस ट्रस्ट द्वारा समय - समय पर सत्साहित्य प्रकाशन का कार्य भी सम्पन्न होता रहा है। अपने समय के महान डिंगल कवि केशवदास जी गाडण द्वारा रचित ‘विवेकवार निसाणी’ का प्रकाशन हो अथवा नवोदित रचनाकार की कृति ‘करणी कीरत’ का प्रकाशन हो य फिर बीकानेर के चारण समाज की निर्देशिका हो या ट्रस्ट की स्मारिका हो। इस ट्रस्ट ने प्रतिभा प्रोत्साहन के अतिरिक्त सत्साहित्य के प्रकाशन का भी बीड़ा उठा रखा है। संस्थापक की हार्दिक इच्छा थी कि राजस्थान स्थित चारण समाज की सम्पूर्ण जानकारी एकत्र करके कोई प्रकाशन का रूप दिया जाए। उनकी ये हार्दिक इच्छा उनके जीवन काल में मूर्त रूप नहीं ले पाई परन्तु अब इस वेबसाइट में समूचे राजस्थान के चारणों की तहसील एवं जिले वार जानकारी प्रस्तुत की जा रही है।
इस ट्रस्ट का एक प्रमुख उद्देश्य भगवती करणी जी महाराज की पवित्र एवं दिव्य लीलाओं का प्रसारण भी हैं। प्रस्तुत वेबसाइट उपर्युक्त समस्त उद्देश्यों की प्राप्ति के क्षेत्र में एक नया प्रयोग एवं प्रयास है। मां भगवती करणी जी महाराज की कृपा से ट्रस्ट अपने उद्देश्यों की प्राप्ति की तरफ अग्रसर है।
जय माताजी की ।
जगदीश राज सिंह गाडण
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