pkj.k ukjk;.k flag xkM.k VªLV ¼ns'kuksd½ MkaMwlj dh vksj ls gkfnZd Lokxr
समर्पण:-
व्यक्ति की प्रथम पाठशाला उसका परिवार होता है। अपने पूर्वजों द्वारा प्रशस्त आदर्श मार्गपर चलना ही व्यक्ति के लिए श्रेयस्कर है। क्योंकि रक्त में घूले हुए संस्कार अत्यंत प्रबल होते है और वहीं व्यक्तित्व का निर्माण करते है। मुझे अपने बाल्यकाल से ही पिता श्री नारायण सिंह जी गाडण की छत्रछाया में रहकर कुछ सीखने का मौका मिला। मैंने उनसे अपने पितामह ठा. मुकुन्ददान जी के विषय में उनकी विचारधारा के विषय में भी जानने का प्रयास किया। मेरे पूज्य दादीसा एवं मेरी माताश्री साक्षात सती स्वरुपा एवं अन्नपूर्णा थी। इस प्रकार मेरे उक्त पूर्वज ही मेरे प्रेरणास्त्रोत हैं। उनकी प्रेरणाएं मेरे मानस पटल पर सदैव सजीव रूप से विद्यमान है और वहीं मेरी धरोहर एवं पूंजी है। उनसे मुझे यही सीखने का मौका मिला कि ”अपने परिश्रम, प्रतिभा से खूब धनार्जन करना चाहिए।” उस धन से अपने परिवार की खूब सेवा करें, बालक - बालिकाओं को उच्च शिक्षा दिलावें बहन-बेटियों को सहयोग से पोषित करें। यथा योग्य सब कि मदद को तत्पर रहें। व्यक्ति पर पूर्वजों का पितृ ऋण होता है। उस पितृ ऋण से मुक्त होने के साथ-साथ समाज के लिए भी यथा संभव कुछ करना चाहिए। मेरे उन पूर्वजों ने जैसा कहा वैसा किया इसलिए उनके द्वारा किये गये कार्यो की मैं तो मात्र निमित्त मात्र होकर परम्परा ही निभा रहा हूँ।
यह वेबसाइट में अपने दादोसा, दादीसा एवं माताश्री को एक रचनात्मक श्रद्धांजली स्वरूप सादर समर्पित करता हूं।
विनीत
जगदीश राज सिंह गाडण
डांडूसर
डाउनलोड छात्रवृति फार्म, ट्रस्ट

डाउनलोड छात्रवृति फार्म, निजी प्रन्यास, देशनोक
वेबसाइट के उद्देश्य:-
आज समस्त विश्व को एक सूत्र में पिरोने का कार्य कम्प्यूटर ने कर दिखाया है। वर्तमान युग को यदि कम्प्यूटर युग कहा जाए तो कोई अतिश्योक्ति नहीं है। संपूर्ण विषयों की सुविस्तृत जानकारी इंटरनेट पर उपलब्ध है। आज रेलवे आरक्षण एवं टिकट बुकिंग से लेकर विश्व के किसी कौने में स्थित किसी भी संस्थान के बारे में ज्ञात करना हो तो इंटरनेट से ज्ञात किया जा सकता है। किसी भी शोधार्थी को यदि किसी विषय वस्तु की पूर्ण जानकारी करनी हो तो वह इंटरनेट पर उपलब्ध है। आजकल तो परीक्षा परिणाम जानना भी इंटरनेट के कारण सुलभ हो गया है। यहां तक कि आवेदन पत्र भी इंटरनेट पर भरे जाने लगे है। सारे शैक्षणिक, सामाजिक, व्यापारिक, बैंकिग, सरकारी एवं गैर सरकारी संस्थानों की अपनी - अपनी वेबसाइटें बनी हुई है। उन संस्थानों की तमाम गतिविधियों, क्रियाकलापों, कार्यविधियों संबंधी जानकारी उन वेबसाइटों पर उपलब्ध है। विश्व के किसी कौने में बैठा हुआ व्यक्ति अपने घर में स्थित कम्प्यूटर के इंटरनेट से जो चाहे वह जानकारी प्राप्त कर सकता है और वह भी तत्क्षण। इससे अधिक और क्या सुविद्या हो सकती है ? जो सुविद्या उपलब्ध हो और साधन भी मौजूद हो तो उसका लाभ अवश्य उठाना चाहिए।
चारण समाज की भी कई वेबसाइटें अस्तित्व में हैं, और आगे भी बनती रहेगी। चारण नारायण सिंह गाडण ट्रस्ट, देशनोक पर बनाई गई यह वेबसाइट भी इसी श्रृंखला की एक कड़ी है। चारण नारायण सिंह गाडण ट्रस्ट, देशनोक 23 वर्षो से प्रतिभाशाली चारण विद्यार्थियों को छात्रवृत्ति देने के क्षेत्र में कार्यरत है। यह ट्रस्ट शैक्षणिक क्षेत्र में जहां छात्र - छात्राओं को छात्रवृत्ति से सम्मानित कर प्रोत्साहन देता है। वहीं दूसरी और सत् साहित्य प्रकाशन के क्षेत्र में भी कार्यरत है। इस ट्रस्ट ने निम्नांकित पाण्डुलिपियों - पुस्तकों का प्रकाशन करवाया हैं।
(1) विवेक वार निसाणी (2) करणी कीरत
(3) स्मारिका (4) बीकानेर का चारण समाज (निर्देशिका) इत्यादि।
इसके साथ ही साथ आध्यात्मिक क्षेत्र में भगवती श्री करणी जी महाराज से संबंधित उनके विभिन्न धामों के विषय में संपूर्ण ऐतिहासिक जानकारी भावी पीढ़ी को ज्ञात हो इसके लिए यह ट्रस्ट सतत् रूप से प्रयासरत है। इन समस्त उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए इस वेबसाइट निर्माण का मानस बना।
हमारे यहां राजस्थान में एक कहावत बहुत प्रसिद्ध है कि - ‘का गीतड़ा अर का भिंतड़ा‘। अर्थात आपको यदि कोई यादगार काम करना हो तो या कोई लेखन के क्षेत्र में, काव्य सृजन के क्षेत्र में करना चाहिए या तो फिर कोई ऐसा भवन निर्मित करना चाहिए ताकि आने वाली कई पीढ़ियां आपको याद करती रहें।
इस वेबसाइट से ट्रस्ट की सम्पूर्ण गतिविधियों अब तक आयोजित हुए पुरस्कार समारोहों, उनमें पुरस्कृत विद्यार्थियों की सम्पूर्ण जानकारीे समाज के समक्ष रखने का प्रयास किया गया है।
सत्साहित्य का हमारे जीवन में क्या महत्व है ? एवं उसके पठन पाठन से हमारे ज्ञान में कितनी वृद्धि एवं परिमार्जन होता है ? इस वेबसाइट में - विवेकवार निसांणी, करणी कीरत, स्मारिका, बीकानेर का चारण समाज (निर्देशिका) का उल्लेख इसलिए किया गया है ताकि उक्त पुस्तकों को पढ़ने हेतु हमारी भावी पीढ़ी में एक जिज्ञासा उत्पन्न हो सके।
चारण जाति में अनेक देवियों के अवतार हुए हैं इसीलिए इस जाति को देवजाति भी कहा जाता रहा है। चारण जाति में अवतरित भगवती श्री करणी जी महाराज की कीर्ति अत्यन्त प्रसिद्ध है। समूचे राजस्थान में ही नहीं वरन पूरे भारत में करणी जी महाराज के प्रति अगाध श्रद्धा का भाव देखने को मिलता है। भगवती का सुयश दिग दिगन्त में फैला हुआ है। भगवती ने जहां - जहां लीला की हैं, वे सभी स्थान तीर्थ है। इसलिए किस - किस स्थान पर क्या लीला की गई ? उन समस्त दिव्य क्रियाकलापों की सुव्यवस्थित जानकारी उनके भक्तों को होनी परम आवश्यक है। इस वेबसाइट में करणी जी महाराज के विभिन्न धामों का क्रमबद्ध वर्णन किया गया है जो बहुत उपयोगी सिद्ध होगा।
इसी प्रकार से राजस्थान के चारण गांवों की गोत्र वार सूचि भी वेबसाइट में उपलब्ध करवाई गई है। इससे राजस्थान के किस गांव में किस गोत्र के चारण निवास करते हैं, यह जानकारी सुलभ हो जाएगी। इसके अतिरिक्त ट्रस्ट के संस्थापक स्व. नारायण सिंह जी गाडण के व्यक्तित्व - कृतित्व की जानकारी भी वेबसाइट की विषय वस्तु का हिस्सा है, इससे सामाजिक क्षेत्र में कार्य करने की प्रेरणा भावी पीढ़ी को प्राप्त होगी। उपर्युक्त समस्त पुनीत उद्देश्यों को लेक इस वेबसाइट का निर्माण किया गया हैं। आप सभी सुधी एवं गुणी सज्जनों के प्रति सुझाव हमारा पथ प्रदर्शन करेंगे, इसी आशा एवं विश्वास के साथ -
जय माता जी की ।
जगदीश रतनु दासौड़ी
वेबसाइट की विषय वस्तु लेखक
Website visitor No.
superbiketrends.com