चारण नारायण सिंह गाडण ट्रस्ट (देशनोक) डांडूसर की ओर से हार्दिक स्वागत
   
   
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छोटड़िया
सुवाप, साठीका, देशनोक एवं श्री करणी परम धाम गड़ियाला के उपरान्त रतनगढ़ तहसील के छोटड़िया गाँव में करणी जी महाराज का भव्य मंदिर है। गुजरात के सूंघा चारण जीवराज जी घोड़ो के व्यापारी थे जो चारणों का मूलतः व्यवसाय था। बीकानेर के राव बीकाजी ने जीवराज जी से घोड़े क्रय किए और उनकी एवज में उन्हें छोटड़िया गाँव प्रदान किया। मां करणी ने जीवराज सूंघा के साथ अपने पुत्र लाखण की पुत्री सांपूबाई का विवाह कर एक क्रांतिकारी कदम उठाया जिससे ‘चारण एको धारण’ की अवधारणा स्थापित हुई। अनेक बार भगवती करणी जी छोटड़िया गांव पधारे जिसका उल्लेख कविवर भोमजी बीठू ने अपने ग्रन्थ ‘‘करणी प्रकाश’’ में किया है। यथा-
          ‘‘छोटड़ियो दत छतो पखोपख मात पधारै।’’
कालान्तर में राव जैतसी के समय बीकानेर पर आक्रमण विफल हो जाने पर काबुल के शाह कामरान ने भी अपना राजछत्र छोटड़िया के करणी मंदिर में भेंट कर बीकानेर राज्य से सकुशल निकलने की मन्नत मांगी थी। छोटड़िये में इतिहास को अपने में समेटे यह भव्य मंदिर खड़ा है। यह आस्था का विशाल केन्द्र है।